ABOUT कैसे आत्मविश्वास बढ़ाएं

About कैसे आत्मविश्वास बढ़ाएं

About कैसे आत्मविश्वास बढ़ाएं

Blog Article

वह पत्थर लेकर वापस महामंत्री के पास गया और उसे यह कह वापस कर आया कि इस पत्थर को तोड़ना नामुमकिन है.

शिष्य द्वारा इस सवाल के किये जाने पर गुरूजी निराश हो गए और दुखी मन से शिष्य को कहा – शिष्य, मुझे तुमसे ऐसे सवाल की उम्मीद नहीं थी, तुम्हें मेरे साथ रहते हुए बहुत समय हो गया है, परन्तु अभी भी तुम ज्ञान की पहली सीढ़ी ही नहीं चढ़ पाए हो, अभी भी वहीँ पर अटके हुए हो। 

वह बार-बार सोचता कि नीचे कूद जाऊ और अपने दोस्तों से जा मिलु परन्तु उसे पेंड का मोह अपनी ओर खींचने लगता, आम रोजाना इसी सोंच में डूबा रहता।

एक नमक बेचने वाला हर दिन अपने गधे पर नमक की थैली को बाजार तक ले जाता था।

“आज मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने मेरी जान बचाई।”

इस कारण से पड़ा था बजरंग बली का नाम हनुमान

अरे उल्लू भाई यह हंसिनी है मेरी पत्नी है रात में हम दोनों साथ में आये थे अब साथ में जा रहें हैं। 

एक समय की बात है सुबह-सुबह एक गरीब व्यक्ति राजा के दरबार में पहुँचता है। और राजा को अपनी गरीबी की करुण गाथा बताने लगता है। राजा को उस व्यक्ति की दरिद्रा की कहानी सुनकर बहुत ही ज्यादा दुःख होता है और उस व्यक्ति के लिए दया आ जाती है।

हंस ने कहा अब क्या हुआ भैया, पत्नी तो आपने ले ही ली अब क्या मेरी जान भी लोगे। 

भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री के रूप में लालबहादुर शास्त्री सादगी व महानता की प्रतिमूर्ति थे।हम सभी को उनके व्यक्तित्व से प्रेरणा लेनी चाहिए।

हिन्दी स्वराज सभी लोकप्रिय विषयों का एक समूह है। हिंदी स्वराज के पाठकों को सभी नवीनतम सूचनाओं से अपडेट रखने का प्रयास करता है ।

पंचतंत्र की कहानी: बंदर का कलेजा – bandar ka kaleja

वह जितना अधिक समय तक जीवित रहता था, वह उतना ही अधिक पित्त बनता जा रहा था और उतने ही जहरीले उसके more info शब्द थे। लोग उससे बचते थे, क्योंकि उसका दुर्भाग्य संक्रामक हो गया था। यह भी अस्वाभाविक था और उसके बगल में खुश होना अपमानजनक था।

महामंत्री को राजा का आदेश हर स्थिति में पूर्ण करना था. इसलिए उसने भगवान विष्णु की प्रतिमा निर्मित करने का कार्य गाँव के एक साधारण से मूर्तिकार को सौंप दिया.

Report this page